वापिस चूहा बन जा…!!
यह एक छोटी सी कहानी, आजकल के हालात में सही बैठती है।
कहानी तो यह प्राचीनकाल की है, पर मैसेज आज के समय का है।
एक जंगल में बड़े ही तपस्वी साधु रहते थे। ईश्वर की कृपा से उन्हें अनेक प्रकार की सिध्दियां प्राप्त थीं।
उस समय ऋषि-मुनि अपनी तपस्या, साधना से प्राप्त शक्तियों का दुरुपयोग न कर के उनका उपयोग मानव कल्याण में करते थे।
एक बार की बात है, वह साधु अपनी तपस्या में लीन थे, कि अचानक उनकी आँख खुल गई।
देखा तो एक चूहा घबराया हुआ उनकी गोद में बैठा है। संस्कृत भाषा में चूहे को मूषक कहते हैं।
उस डरे हुऐ चूहे को देख कर वह आश्चर्य में पड गये, और बोले कि..क्या बात है? तुम एसे डरे हुए क्यों हो?
चूहा बड़ी विनम्रता से उन्हें प्रणाम करते हुए बोला कि महाराज मेरे पीछे एक बिल्ली आ रही थी, जो मुझे खाना चाह रही थी।
बस इसीलिए मैं डर के भाग कर आपकी गोद में आ कर छिप गया।
चूहे की बात सुनकर साधु ने कुछ सोचा, और चूहे से कहा जा बिल्ली बन जा।
अब तुझे डरने की कोई बात नहीं।
और वास्तव में देखते-देखते वह चूहा अब बिल्ली बन गया।
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कुछ समय के पशचात एक दिन वह बिल्ली भागी-भागी साधु के चरणों में आ कर बैठ गई।
साधु महाराज बोले कि अब क्या हुआ? घबराई हुई बिल्ली बोली महाराज एक कुत्ता मुझे मारने के लिये, मेरे पीछे भाग रहा था,
उससे बचने के लिये ही मैं आपकी शरण में आयी हूँ। साधु को फिर उस पर तरस आ गया,
और वे बोले डरो मत जाओ कुत्ता बन जाओ।
कुछ समय बीतने के बाद एक दिन वह कुत्ता भी भागता हुआ उन साधु के पास आया और बोला कि महाराज मेरी रक्षा करो।
एक शेर मुझे खाने के लिये आ रहा है।
साधु महाराज बोले कि ठीक है आज से तुम शेर बन जाओगे, अब तुम्हें किसी प्राणी का भय नहीं रहेगा।
कुछ समय के बाद एक दिन जब वह साधु महाराज अपनी साधना में लीन थे,
तो उन्हें कुछ शोर सुनाई दिया, आँखे खोली तो वह शेर सामने खड़ा था।
और गुर्रा रहा था। यह देख साधु को बड़ा आश्चर्य हुआ, वे उस शेर से बोले कि क्या हुआ? अब तुम्हें क्या चाहिये?
शेर बोला आज मुझे कोई शिकार नहीं मिला। बहुत भूख लगी है, सोचा आपको ही खा जाऊं।
यह सुनकर साधु को बड़ा दुःख हुआ,कि जिस चूहे ( मूषक ) को दया करके मैंने चूहे से बिल्ली,
बिल्ली से कुत्ता, और कुत्ते से शेर बना दिया, आज वही अहसानफरामोश हो कर मुझे ही खाने आ गया।
साधु महाराज ने उसे सबक सिखाने की सोच ली। और क्रोध में आकर उसे श्राप दे दिया कि ” पुनः मूषको भव “ अर्थात दोबारा चूहा बन जा…!!
कहानी का सारांश यह है कि हमे कभी किसी का उपकार नहीं भूलना चाहिये।
जिसने हमें बड़ा बनाया उसका हमें कभी अपमान नहीं करना चाहिये। वरना उस अहसानफरामोश व्यक्ति की स्थिति भी चूहे जैसी हो सकती है।